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नेकी की राह पर चल के अपनों की आँखों में खुशियाँ देके,गगन आईच

नेकी की राह पर चल के
अपनों की आँखों में खुशियाँ देके
सकारात्मक उम्मीद की पहली किरण हैँ मैंने पाई
जिसके चलते अपनों के जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ आई मेरे लिए नया साल का इससे बेहतर आगाज़ क्या हो सकता था, आज मुझे आत्मिक ख़ुशी का वो एहसास मिला. ज़ब एक ज़रूरतमंद बुजुर्ग को हियरिंग (कान में सुनने वाली ) मशीन को ले जाकर उनके हाथों में दिया ll
कीमत वस्तु की नहीं बल्कि कीमत उस ख़ुशी की हैँ जिसे आज मैंने उस बुजुर्ग की आँखों में देखा और महसूस किया, हियरिंग मशीन को हाथ में लेने के बाद उन्होंने जैसे ही मेरी पीठ थपथपाई…ऐसा लगा कि…मानो सारे जहाँ का स्नेह और आशीर्वाद मुझे मिल गया, मैं इस अविस्मरणीय भावनात्मक क्षण को आप सबके समक्ष रखने में अपने आप को मैं रोक नहीं पाया…

गगन आईच

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